आरती शनिदेव  की 













जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥


जय जय श्री शनि देव….


श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥


जय जय श्री शनि देव….


क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥


जय जय श्री शनि देव….


मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥


जय जय श्री शनि देव….


देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥


जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।














Hinglish Version


Aarti Shanidev kee


jay jay shree shanidev bhaktan hitakaaree. 
soory putr prabhu chhaaya mahataaree. 

jay jay shree shani dev…. 

shyaam ang vakr-dr‍shti chaturbhuja dhaaree. 
nee laambar dhaar naath gaj kee asavaaree. 

jay jay shree shani dev…. 

kreet mukut sheesh raajit dipat hai lilaaree. 
muktan kee maala gale shobhit balihaaree. 

jay jay shree shani dev…. 

modak mishthaan paan chadhat hain supaaree. 
loha til tel udad mahishee ati pyaaree. 

jay jay shree shani dev….

dev danuj rshi muni sumirat nar naaree. 
vishvanaath dharat dhyaan sharan hain tumhaaree. 

jay jay shree shani dev bhaktan hitakaaree..

  शिव चालीसा 




।।दोहा।।


श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥


जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥



॥दोहा॥


नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥











Hinglish Version 


Shiv Chalisa 


 ..Doha.. 


shree ganesh girija suvan, mangal mool sujaan.

kahat ayodhyaadaas tum, dehu abhay varadaan. 



jay girija pati deen dayaala. sada karat santan pratipaala.

bhaal chandrama sohat neeke. kaanan kundal naagaphanee ke.

ang gaur shir gang bahaaye. mundamaal tan chhaar lagaaye. 

vastr khaal baaghambar sohe. chhavi ko dekh naag muni mohe. 

maina maatu kee hvai dulaaree. baam ang sohat chhavi nyaaree. 

kar trishool sohat chhavi bhaaree. karat sada shatrun kshayakaaree.

nandi ganesh sohai tahan kaise. saagar madhy kamal hain jaise. 

kaartik shyaam aur ganaraoo. ya chhavi ko kahi jaat na kaoo.

devan jabaheen jaay pukaara. tab hee dukh prabhu aap nivaara.

kiya upadrav taarak bhaaree. devan sab mili tumahin juhaaree.

turat shadaanan aap pathaayu. lavanimesh mahan maari giraayu. 

aap jalandhar asur sanhaara. suyash tumhaar vidit sansaara.

tripuraasur san yuddh machaee. sabahin krpa kar leen bachaee.

kiya tapahin bhaageerath bhaaree. purab pratigya tasu puraaree.

daanin mahan tum sam kou naaheen. sevak stuti karat sadaaheen.

ved naam mahima tav gaee. akath anaadi bhed nahin paee. 

pragat udadhi manthan mein jvaala. jare suraasur bhaye vihaala. 

keenh daya tahan karee sahaee. neelakanth tab naam kahaee. 

poojan raamachandr jab keenha. jeet ke lank vibheeshan deenha.

 sahas kamal mein ho rahe dhaaree. keenh pareeksha tabahin puraaree.

 ek kamal prabhu raakheu joee. kamal nayan poojan chahan soee. 

kathin bhakti dekhee prabhu shankar. bhaye prasann die ichchhit var.

 jay jay jay anant avinaashee. karat krpa sab ke ghatavaasee.

 dusht sakal nit mohi sataavai . bhramat rahe mohi chain na aavai.
 
traahi traahi main naath pukaaro. yahi avasar mohi aan ubaaro.

 lai trishool shatrun ko maaro. sankat se mohi aan ubaaro. 

maatu pita bhraata sab koee. sankat mein poochhat nahin koee.

 svaamee ek hai aas tumhaaree. aay harahu ab sankat bhaaree.

 dhan nirdhan ko det sadaaheen. jo koee jaanche vo phal paaheen.

 astuti kehi vidhi karaun tumhaaree. kshamahu naath ab chook hamaaree. 

shankar ho sankat ke naashan. mangal kaaran vighn vinaashan. 

yogee yati muni dhyaan lagaavain. naarad shaarad sheesh navaavain.

 namo namo jay namo shivaay. sur brahmaadik paar na paay. 

jo yah paath kare man laee. ta paar hot hai shambhu sahaee.

 rniya jo koee ho adhikaaree. paath kare so paavan haaree. 

putr heen kar ichchha koee. nishchay shiv prasaad tehi hoee. 

pandit trayodashee ko laave. dhyaan poorvak hom karaave .

 trayodashee brat kare hamesha. tan nahin taake rahe kalesha.

 dhoop deep naivedy chadhaave. shankar sammukh paath sunaave. 

janm janm ke paap nasaave. antavaas shivapur mein paave.

 kahe ayodhya aas tumhaaree. jaani sakal duhkh harahu hamaaree.


 .Doha.


nitt nem kar praatah hee, paath karaun chaaleesa.
 
tum meree manokaamana, poorn karo jagadeesh. 

magasar chhathi hemant rtu, sanvat chausath jaan. 

astuti chaaleesa shivahi, poorn keen kalyaan.

 शिव आह्वाहन मंत्र



ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।


वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।


नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।


त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।


नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।


देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।


अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।












Shiva Invocation mantra Or Shiv Ahwahan Mantra


Mrityunjay upset Jagadabhayanashan.

Tav dhyanen devesh death propagation jeevati..


Vande Ishaan Devaya Namasthasmai Pinakine.

In the beginning of the middle of the day, death is destroyed.


Namasthasmai Bhagwate Kailasachal Vasine.

Namobrahmendra rupay mrutyanasham karotu in me.


Trymbakaya Namastubhyam Panchasaya Namonam.

Namo dordandachapay mam mrityam vinayay..


Namordhendu Swarupaya Namo Digvasanay Ch.

Namo Bhakkarti Hantre Cha Mam Mrityam Vinashaya.


Devam Mrityvinashnam Bhayaharam Empire Mukti Pradam.

Nana bhutgananvitam divi padaiah devaih sada sevitam.


Ignorance-Kanashanam Shubhkaram Vidyasu Soukhya Pradam.

Sarva Sarvapati Maheshwar Haram Mrityunjay Bhavaye.



 शिव तांडव स्तोत्रं



जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले

गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्‌। 

डमड्डमड्डमड्डमनिनादवड्डमर्वयं

चकार चंडतांडवं तनोतु नः शिवः शिवम ॥1॥

 

जटा कटा हसंभ्रम भ्रमन्निलिंपनिर्झरी ।

विलोलवी चिवल्लरी विराजमानमूर्धनि ।

धगद्धगद्ध गज्ज्वलल्ललाट पट्टपावके

किशोरचंद्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं ममं ॥2॥

 

धरा धरेंद्र नंदिनी विलास बंधुवंधुर-

स्फुरदृगंत संतति प्रमोद मानमानसे ।

कृपाकटा क्षधारणी निरुद्धदुर्धरापदि

कवचिद्विगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥3॥

 

जटा भुजं गपिंगल स्फुरत्फणामणिप्रभा-

कदंबकुंकुम द्रवप्रलिप्त दिग्वधूमुखे ।

मदांध सिंधु रस्फुरत्वगुत्तरीयमेदुरे

मनो विनोदद्भुतं बिंभर्तु भूतभर्तरि ॥4॥

 

सहस्र लोचन प्रभृत्य शेषलेखशेखर-

प्रसून धूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः ।

भुजंगराज मालया निबद्धजाटजूटकः

श्रिये चिराय जायतां चकोर बंधुशेखरः ॥5॥

 

ललाट चत्वरज्वलद्धनंजयस्फुरिगभा-

निपीतपंचसायकं निमन्निलिंपनायम्‌ ।

सुधा मयुख लेखया विराजमानशेखरं

महा कपालि संपदे शिरोजयालमस्तू नः ॥6॥

 

कराल भाल पट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल-

द्धनंजया धरीकृतप्रचंडपंचसायके ।

धराधरेंद्र नंदिनी कुचाग्रचित्रपत्रक-

प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने मतिर्मम ॥7॥

 

नवीन मेघ मंडली निरुद्धदुर्धरस्फुर-

त्कुहु निशीथिनीतमः प्रबंधबंधुकंधरः ।

निलिम्पनिर्झरि धरस्तनोतु कृत्ति सिंधुरः

कलानिधानबंधुरः श्रियं जगंद्धुरंधरः ॥8॥ 

 

प्रफुल्ल नील पंकज प्रपंचकालिमच्छटा-

विडंबि कंठकंध रारुचि प्रबंधकंधरम्‌

स्मरच्छिदं पुरच्छिंद भवच्छिदं मखच्छिदं

गजच्छिदांधकच्छिदं तमंतकच्छिदं भजे ॥9॥

 

अगर्वसर्वमंगला कलाकदम्बमंजरी-

रसप्रवाह माधुरी विजृंभणा मधुव्रतम्‌ ।

स्मरांतकं पुरातकं भावंतकं मखांतकं

गजांतकांधकांतकं तमंतकांतकं भजे ॥10॥

 

जयत्वदभ्रविभ्रम भ्रमद्भुजंगमस्फुर-

द्धगद्धगद्वि निर्गमत्कराल भाल हव्यवाट्-

धिमिद्धिमिद्धिमि नन्मृदंगतुंगमंगल-

ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्ड ताण्डवः शिवः ॥11॥

 

दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजंग मौक्तिकमस्रजो-

र्गरिष्ठरत्नलोष्टयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।

तृणारविंदचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः

समं प्रवर्तयन्मनः कदा सदाशिवं भजे ॥12॥

 

कदा निलिंपनिर्झरी निकुजकोटरे वसन्‌

विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरःस्थमंजलिं वहन्‌।

विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

शिवेति मंत्रमुच्चरन्‌कदा सुखी भवाम्यहम्‌॥13॥

 

निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।

तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं

परिश्रय परं पदं तदंगजत्विषां चयः ॥14॥

 

प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।

विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम्‌ ॥15॥

 

इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं

पठन्स्मरन्‌ ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्‌।

हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नांयथा गतिं

विमोहनं हि देहना तु शंकरस्य चिंतनम ॥16॥

 

पूजाऽवसानसमये दशवक्रत्रगीतं

यः शम्भूपूजनमिदं पठति प्रदोषे ।

तस्य स्थिरां रथगजेंद्रतुरंगयुक्तां

लक्ष्मी सदैव सुमुखीं प्रददाति शम्भुः ॥17॥


॥ इति शिव तांडव स्तोत्रं संपूर्णम्‌॥






 शिवजी की आरती




ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा...

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा...

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा..

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा..












Hinglish Version

Shiv jee kee Aarti


Om Jay Shiv Omkara, Svaamee Jay Shiv Omkara. 

brahma, vishnu, sadaashiv, arddhaangee dhaara.

om jay shiv omkara... 

ekaanan chaturaanan panchaanan raaje.

hansaasan garoodaasan vrshavaahan saaje. 

om jay shiv omkara... 

do bhuj chaar chaturbhuj dasabhuj ati sohe.

 trigun roop nirakhate tribhuvan jan mohe. 

om jay shiv omkara.. 

akshamaala vanamaala mundamaala dhaaree. 

tripuraaree kansaaree kar maala dhaaree.

om jay shiv omkara.. 

shvetaambar peetaambar baaghambar ange. 

sanakaadik garunaadik bhootaadik sange. 

om jay shiv omkara..

kar ke madhy kamandalu chakr trishooladhaaree. 

sukhakaaree dukhahaaree jagapaalan kaaree. 

om jay shiv omkara.. 

brahma vishnu sadaashiv jaanat aviveka. 

madhu-kaitabh do‌u maare, sur bhayaheen kare. 

om jay shiv omkara..

lakshmee va saavitree paarvatee sanga. 

paarvatee arddhaangee, shivalaharee ganga. 

om jay shiv omkara.. 

parvat sohain paarvatee, shankar kailaasa. 

bhaang dhatoor ka bhojan, bhasmee mein vaasa. 

om jay shiv omkara..

jata mein gang bahat hai, gal mundan maala.

shesh naag lipataavat, odhat mrgachhaala.

om jay shiv omkara.. 

kaashee mein viraaje vishvanaath, nandee brahmachaaree. 

nit uth darshan paavat, mahima ati bhaaree. 

om jay shiv omkara.. 

trigunasvaamee jee kee aarati jo koi nar gaave.

kahat shivaanand svaamee, manavaanchhit phal paave. 

om jay shiv omkara..











 ॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥


नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,

भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,

तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥१॥


मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,

नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥२॥


शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥३॥


वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥४॥


यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥५॥


पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥







हिन्दी अनुवाद:

शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र के रचयिता आदि गुरु शंकराचार्य हैं, जो परम शिवभक्त थे। शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र पंचाक्षरी मन्त्र नमः शिवाय पर आधारित है।
न – पृथ्वी तत्त्व का
म – जल तत्त्व का
शि – अग्नि तत्त्व का
वा – वायु तत्त्व का और
य – आकाश तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है।

जिनके कण्ठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अंगराग है और दिशाएँ ही जिनका वस्त्र हैं अर्थात् जो दिगम्बर (निर्वस्त्र) हैं ऐसे शुद्ध अविनाशी महेश्वर न कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥1॥

गङ्गाजल और चन्दन से जिनकी अर्चना हुई है, मन्दार-पुष्प तथा अन्य पुष्पों से जिनकी भलिभाँति पूजा हुई है। नन्दी के अधिपति, शिवगणों के स्वामी महेश्वर म कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥2॥

जो कल्याणस्वरूप हैं, पार्वतीजी के मुखकमल को प्रसन्न करने के लिए जो सूर्यस्वरूप हैं, जो दक्ष के यज्ञ का नाश करनेवाले हैं, जिनकी ध्वजा में वृषभ (बैल) का चिह्न शोभायमान है, ऐसे नीलकण्ठ शि कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥3॥

वसिष्ठ मुनि, अगस्त्य ऋषि और गौतम ऋषि तथा इन्द्र आदि देवताओं ने जिनके मस्तक की पूजा की है, चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र हैं, ऐसे व कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥4॥

जिन्होंने यक्ष स्वरूप धारण किया है, जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ में पिनाक* है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, ऐसे दिगम्बर देव य कारस्वरूप शिव को नमस्कार है॥5॥

जो शिव के समीप इस पवित्र पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करता है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और वहाँ शिवजी के साथ आनन्दित होता है।




Hinglish Version

. Shree shiva panchaakshara stotram . 


naagendrahaaraay trilochanaay, 
bhasmaangaraagaay maheshvaraay . 
nityaay shuddhaay digambaraay, 
tasmai na kaaraay namah shivaay .1. 

mandaakinee salilachandan charchitaay,
nandeeshvar pramathanaath maheshvaraay . 
mandaarapushp bahupushp supoojitaay, 
tasmai ma kaaraay namah shivaay .2. 

shivaay gaureevadanaabjavrnd,
sooryaay dakshaadhvaranaashakaay .
shreeneelakanthaay vrshadhvajaay, 
tasmai shi kaaraay namah shivaay .3. 

vasishthakumbhodbhavagautamaary,
muneendradevaarchitashekharaay. 
chandraark vaishvaanaralochanaay, 
tasmai va kaaraay namah shivaay .4.

yakshasvaroopaay jataadharaay, 
pinaakahastaay sanaatanaay .
divyaay devaay digambaraay, 
tasmai ya kaaraay namah shivaay .5.

panchaaksharamidan punyan yah pathechchhivasannidhau . 
shivalokamavaapnoti shiven sah modate .



 शनिदेव चालीसा 



दोहा


जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल।

दीनन के दुख दूर करि, कीजै नाथ निहाल॥


जय जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महाराज।

करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥




चौपाई 


जयति जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला॥

चारि भुजा, तनु श्याम विराजै।

माथे रतन मुकुट छबि छाजै॥

परम विशाल मनोहर भाला।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला॥

कुण्डल श्रवण चमाचम चमके।

हिय माल मुक्तन मणि दमके॥

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।

पल बिच करैं अरिहिं संहारा॥

पिंगल, कृष्णो, छाया नन्दन।

यम, कोणस्थ, रौद्र, दुखभंजन॥

सौरी, मन्द, शनी, दश नामा।

भानु पुत्र पूजहिं सब कामा॥

जा पर प्रभु प्रसन्न ह्वैं जाहीं।

रंकहुँ राव करैं क्षण माहीं॥

पर्वतहू तृण होई निहारत।

तृणहू को पर्वत करि डारत॥

राज मिलत बन रामहिं दीन्हयो।

कैकेइहुँ की मति हरि लीन्हयो॥

बनहूँ में मृग कपट दिखाई।

मातु जानकी गई चुराई॥

लखनहिं शक्ति विकल करिडारा।

मचिगा दल में हाहाकारा॥

रावण की गति-मति बौराई।

रामचन्द्र सों बैर बढ़ाई॥

दियो कीट करि कंचन लंका।

बजि बजरंग बीर की डंका॥

नृप विक्रम पर तुहि पगु धारा।

चित्र मयूर निगलि गै हारा॥

हार नौलखा लाग्यो चोरी।

हाथ पैर डरवायो तोरी॥

भारी दशा निकृष्ट दिखायो।

तेलिहिं घर कोल्हू चलवायो॥

विनय राग दीपक महं कीन्हयों।

तब प्रसन्न प्रभु ह्वै सुख दीन्हयों॥

हरिश्चन्द्र नृप नारि बिकानी।

आपहुं भरे डोम घर पानी॥

तैसे नल पर दशा सिरानी।

भूंजी-मीन कूद गई पानी॥

श्री शंकरहिं गह्यो जब जाई।

पारवती को सती कराई॥

तनिक विलोकत ही करि रीसा।

नभ उड़ि गयो गौरिसुत सीसा॥

पाण्डव पर भै दशा तुम्हारी।

बची द्रौपदी होति उघारी॥

कौरव के भी गति मति मारयो।

युद्ध महाभारत करि डारयो॥

रवि कहँ मुख महँ धरि तत्काला।

लेकर कूदि परयो पाताला॥

शेष देव-लखि विनती लाई।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई॥

वाहन प्रभु के सात सुजाना।

जग दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना॥

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी॥

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।

हय ते सुख सम्पति उपजावैं॥

गर्दभ हानि करै बहु काजा।

सिंह सिद्धकर राज समाजा॥

जम्बुक बुद्धि नष्ट कर डारै।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै॥

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।

चोरी आदि होय डर भारी॥

तैसहि चारि चरण यह नामा।

स्वर्ण लौह चाँदी अरु तामा॥

लौह चरण पर जब प्रभु आवैं।

धन जन सम्पत्ति नष्ट करावैं॥

समता ताम्र रजत शुभकारी।

स्वर्ण सर्व सर्व सुख मंगल भारी॥

जो यह शनि चरित्र नित गावै।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै॥

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।

करैं शत्रु के नशि बलि ढीला॥

जो पण्डित सुयोग्य बुलवाई।

विधिवत शनि ग्रह शांति कराई॥

पीपल जल शनि दिवस चढ़ावत।

दीप दान दै बहु सुख पावत॥

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा॥



दोहा


पाठ शनिश्चर देव को, की हों 'भक्त' तैयार।

करत पाठ चालीस दिन, हो भवसागर पार॥

























Shanidev Chaaleesa


 Doha


 jay ganesh girija suvan, mangal karan krpaal.
 deenan ke dukh door kari, keejai naath nihaal.

 jay jay shree shanidev prabhu, sunahu vinay mahaaraaj.
 karahu krpa he ravi tanay, raakhahu jan kee laaj. 


Chaupaee


 jayati jayati shanidev dayaala. 
karat sada bhaktan pratipaala. 
chaari bhuja, tanu shyaam viraajai.
 maathe ratan mukut chhabi chhaajai.
 param vishaal manohar bhaala.
 tedhee drshti bhrkuti vikaraala. 
kundal shravan chamaacham chamake.
 hiy maal muktan mani damake.
 kar mein gada trishool kuthaara.
 pal bich karain arihin sanhaara. 
pingal, krshno, chhaaya nandan. 
yam, konasth, raudr, dukhabhanjan. 
sauree, mand, shanee, dash naama.
 bhaanu putr poojahin sab kaama.
 ja par prabhu prasann hvain jaaheen.
 rankahun raav karain kshan maaheen. 
parvatahoo trn hoee nihaarat. 
trnahoo ko parvat kari daarat. 
raaj milat ban raamahin deenhayo.
 kaikeihun kee mati hari leenhayo.
 banahoon mein mrg kapat dikhaee.
 maatu jaanakee gaee churaee.
 lakhanahin shakti vikal karidaara.
 machiga dal mein haahaakaara. 
raavan kee gati-mati bauraee.
 raamachandr son bair badhaee. 
diyo keet kari kanchan lanka.
 baji bajarang beer kee danka. 
nrp vikram par tuhi pagu dhaara.
 chitr mayoor nigali gai haara. 
haar naulakha laagyo choree. 
haath pair daravaayo toree.
 bhaaree dasha nikrsht dikhaayo.
 telihin ghar kolhoo chalavaayo. 
vinay raag deepak mahan keenhayon.
 tab prasann prabhu hvai sukh deenhayon.
 harishchandr nrp naari bikaanee. 
aapahun bhare dom ghar paanee.
 taise nal par dasha siraanee.
 bhoonjee-meen kood gaee paanee.
 shree shankarahin gahyo jab jaee. 
paaravatee ko satee karaee.
 tanik vilokat hee kari reesa.
 nabh udi gayo gaurisut seesa.
 paandav par bhai dasha tumhaaree.
 bachee draupadee hoti ughaaree.
 kaurav ke bhee gati mati maarayo.
 yuddh mahaabhaarat kari daarayo.
 ravi kahan mukh mahan dhari tatkaala.
 lekar koodi parayo paataala.
 shesh dev-lakhi vinatee laee. 
ravi ko mukh te diyo chhudaee.
 vaahan prabhu ke saat sujaana.
 jag diggaj gardabh mrg svaana.
 jambuk sinh aadi nakh dhaaree.
 so phal jyotish kahat pukaaree.
 gaj vaahan lakshmee grh aavain.
 hay te sukh sampati upajaavain.
 gardabh haani karai bahu kaaja.
 sinh siddhakar raaj samaaja.
 jambuk buddhi nasht kar daarai.
 mrg de kasht praan sanhaarai. 
jab aavahin prabhu svaan savaaree.
 choree aadi hoy dar bhaaree.
 taisahi chaari charan yah naama. 
svarn lauh chaandee aru taama. 
lauh charan par jab prabhu aavain.
 dhan jan sampatti nasht karaavain.
 samata taamr rajat shubhakaaree. 
svarn sarv sarv sukh mangal bhaaree. 
jo yah shani charitr nit gaavai.
 kabahun na dasha nikrsht sataavai. 
adbhut naath dikhaavain leela.
 karain shatru ke nashi bali dheela.
 jo pandit suyogy bulavaee.
 vidhivat shani grah shaanti karaee.
 peepal jal shani divas chadhaavat.
 deep daan dai bahu sukh paavat.
 kahat raam sundar prabhu daasa. 
shani sumirat sukh hot prakaasha.

 Doha 


paath shanishchar dev ko, kee hon bhakt taiyaar.
 karat paath chaalees din, ho bhavasaagar paar.