Aalsi ki Dawat || आलसी की दावत -मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानियाँ

 आलसी की दावत -मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानियाँ 



खोजा के गांव में एक आलसी रहता था। इस आदमी को जबरदस्ती किसी के भी गले पड़ जाने की आदत थी।

इस आदत की वजह से वहां अधिकांश लोग उससे कन्नी काटते थे, वही यह आदमी अपनी इसी आदत के 

चलते काम न करने की अपनी जन्मजात आदत को बरकरार रखे हुए थे।

चूँकि उसे खुद तो कोई काम करने की आदत नहीं थी, इसलिए जब भी उसे होता, वह ऐसे आदमी के पीछे 

लग जाता था जो उस काम को कर सकता था।

खोजा बहुत दिनों से उस आदमी को सबक सिखाने की योजना बना रहा था, लेकिन इस योजना को सफल 

बनाने में कामयाब खोजा से टकराया नहीं था। हाँ खोजा ने इसके बारे में कई लोगों से सुना जरूर था कि वह 

महाआलसी है।

अपना काम निकालने के लिए किसी के भी पीछे भूत की तरह पद जाता है।

संयोग से एक दिन वह आदमी खोजा से टकरा गया। खोजा ने उससे बेहद सलीके से बातचीत की और विदा 

लेने से पहले उसे अपने घर खाने की दावत भी दे दी।

उस दिन वह आदमी खोजा के घर सुबह सवेरे ही पहुंच गया। पहुंचना ही था, चूकिं जीवन में पहली वार किसी

ने उसे अपने घर बुलाया था। इसलिए उसने पिछले तीन दिन से खिन भी खाना तलाशने की कोशिश ही नहीं 

की थी।

मन ही मन उसने तय कर लिया था कि चौथे दिन खोजा के घर जाना ही है, तब पेट भर कर खाऊंगा।

खोजा के घर पहुंचकर उसने बाहर से ही ऊँची आवाज में खोजा को निर्देश दिया, खोजा! कुछ पानी तो ले 

आओ। खाने से पहले जरा हाथ धो लूँ।

खोजा उसके लिए पानी ले आया। पानी उसके हाथ पर डालता हुआ बोला, माफ़ करना भाई। आज मैं तुम्हें 

खाना नहीं खिला पाउँगा।

क्यों ? क्या बात है ?

खोजा ने बताया, बाकी सब समान तो तैयार है, पर एक चीज की कमी रह गई है। एक छोटी-सी चीज की।

वह कौन-सी चीज है।

खोजा आलसी आदमी के कान के पास पहुंचा और धीरे से फुसफुसाया, काम करने वाले दो हाथ की।

वह आलसी आदमी तो सारे रास्ते एक ही बात सोचता हुआ आ रहा था कि उसे आज खाने को कौन-कौन से 

पकवान मिलेंगे। अब खान ही नहीं मिलेगा यह सुनते ही एकाएक उसकी भूख जोरों से जाग उठी।

इससे पहले कि खोजा सारा पानी उसके हाथों पर डालकर जाया करे, उसने खोजा के हाथ से पानी का बर्तन 

छीना और सारा पानी गटागट एक ही बार में पी लिया। चार दिन के भूखे पेट में ज्यों ही पानी पहुंचा, उसने 

धमा-चौकड़ी मचानी शुरू कर दी। पेट पकड़कर बैठ गया और बुरी तरह से कराहने लगा।

उस दिन से वह आलसी फिर खोजा के सामने कभी नहीं पड़ा। वह खोजा को देखते ही रास्ते से खिसक जाता

था। खोजा ने उसे ऐसा सबक सिखाया था कि वह उससे कन्नी काटने लगा था।

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