Do Padosinen || दो पड़ोसिनें -मुल्ला नसीरुद्दीन की कहानीयां

 दो पड़ोसिनें -मुल्ला नसीरुद्दीन 




राजा के शहर में एक ही मुहल्ले में दो पड़ोसिनें बहुत दिनों से रह रही थी।

दोनों के स्वभाव में भिन्नता होने की वजह से दोनों में कभी पटती नहीं थी। उनमें एक गुणवती और सरल 

स्वभाव का थी परन्तु दूसरी खोटी और कलिहारी थी।

उनके मन-मुटाव का ख़ास यही कारण था।

वे एक-दूसरे को सहन नहीं कर पाती थी। कर्कशा स्त्री हमेशा सरल स्वभाव वाली स्त्री की हसीं उड़ाती रहती 

थी।

जब वह किसी तरह भी सरल स्वभाव वाली स्त्री को दबा न सकी तो एक दिन उसने एक भयंकर षड्यंत्र रच

डाला।

एक दिन उसने अपने छोटे बच्चे को मार डाला और चुपके से उसकी लाश भली औरत के घर में रख आई।

फिर वह रोती-बिलखती हुई बादशाह के दरबार में पहुंच गई। खोजा उस समय बादशाह का सलाहकार बना

हुआ था।

बादशाह ने खोजा से उनका इंसाफ करने को कहा तो खोजा ने सबसे उस सरल स्वभाव वाली स्त्री को दरबार

में बुलवाया

जिसपर व कुल्टा स्त्री ने अपने बच्चे को मार देने का इलजाम लगाया था।

सरकारी आदेश सुनकर वह सरल वृत्ति की स्त्री तुरंत दरबार में हाजिर हो गई और स्वयं के इस प्रकार बुलाए

जाने का कारण पूछा।

खोजा ने कहा, क्या तुमने इस स्त्री के बच्चे की हत्या की है जैसे कि यह तुम पर इलजाम लगा रही है।

यदि नहीं तो तेरे निर्दोष होने का क्या सबूत है, तुरंत बतला। वह स्त्री बोली, हुजूर।

मैं नहीं जानती कि कौन इसके बच्चे की हत्या कर मेरे घर में डाल गया है। मैं बिलकुल निर्दोष हूँ।

तब खोजा ने एक सरकारी नौकर को बुलाकर उसके कान में कुछ कहा,

फिर बोला, वह दोनों स्त्रियों के चाल-चलन की जाँच कराना चाहता था।

नौकर उस मुहल्ले में पहुंचा, वहां दोनों स्त्रियाँ रहती थी।

पूछताछ करने पर पड़ोसियों ने उसे बताया कि जिस स्त्री पर यह इलजाम लगाया गया है,

वह तो बहुत ही भली है जिसने उस पर इलजाम लगाया है, वह निहायत कर्कशा और फरेबी स्त्री है।

नौकर जैसा सुन आया था वैसा हाल खोजा को जाकर बता दिया तब सच-झूठ की पहचान के लिए खोजा ने

एक तरकीब निकली।

उसने भली मांस स्त्री को बुलाया और पूछा, यदि युमने सचमुच इस औरत के बच्चे की हत्या नहीं की तो अपना

सारा लिबास उतार कर चुपचाप एक ओर खड़ी हो जा।

यह सुनकर वह स्त्री बोली, हुजूर!

मैं चाहे कल की जगह आज ही क्यों न मार डाली जाऊं, पर मैं चाहे कल की जगह आज ही क्यों न मार डाली 

जाऊं,

पर मैं नंगी कभी नहीं होंगी। मैं मरने से उतना नहीं डरती, जितनी की निर्लज्जता से।

तब खोजा ने उस दुष्ट स्त्री को बुलाया और पूछा, यदि तू जानती है कि सचमुच इसी ने तेरे बच्चे की हत्या की है,

तो इस दरबार में अपनी पोशाक उतार कर नंगी एक और खड़ी हो जा।

इस पर तो वह तुरंत नंगी होकर खड़ी होने को तैयार हो गई।

उसे अपनी पोशाक उतरने को तैयार होते देख खोजा को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई।

उसने उस स्त्री को अपनी पोशाक उतारने से रोका।

उसे निश्चय हो गया था कि इस दुष्ट ने ही अपने बेटे की हत्या की है।

सिपाहियों को उस स्त्री को पीटने का आदेश दिया।

जब उसके दोनों हाथ-पाँव बाँध गए और सिपाही उसे पीटने को तैयार हुए तो उस स्त्री के होश ठिकाने आ 

गए।

उसने तुरंत अपना गुनाह कबूल कर लिया।

बादशाह को उस दुष्ट स्त्री की करतूत पर बड़ा रंज हुआ।

उसने सूए कारागार में डलवा दिया और नेक स्त्री को पुरस्कार देकर विदा कर दिया।

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