नील पर आसमान से हँसती-गाती नील परी भू पर आती है, आकर के नन्ही बगिया को खुशबू से यह भर जाती है। जादूगर-सी छड़ी लिए है बैठी बच्चों के सिरहाने, इसके आते ही फूलों से झरने लगते मीठे गाने। इसकी मुसकानें मोती हैं और चाँद है इसकी बिंदिया, बच्चे इसको खूब जानते- कहते हैं-लो आई निंदिया!
मैं भी स्कूल में जाऊंगा मम्मी मुझको बस्ता ले दो मैं भी स्कूल में जाऊंगा, A B C D पढूंगा मैं भी क ख ग भी पढ़ कर आऊंगा सीखूंगा बातें नयी और आकर सब को बताऊंगा, मम्मी मुझको बस्ता ले दो मैं भी स्कूल में जाऊंगा। पढ़ लिख कर इक दिन मैं भी नाम बहुत ही कमाऊंगा होगा गर्व तुझे उस दिन जब देश के काम, मैं आऊंगा, कलाम, भगत सिंह जैसा बन कर इस जग में मैं छा जाऊंगा मम्मी मुझको बस्ता ले दो मैं भी स्कूल में जाऊंगा।
बांसुरी वाला बात सात सौ साल पुरानी सुनो ध्यान से प्यारे हैम्लिन नामक एक शहर था वीजर नदी किनारे। यूं तो शहर बहुत सुन्दर था हैम्लिन जिसका नाम मगर वहां के लोगों का हो गया था चैन हराम। इतने चूहे इतने चूहे गिनती हो गई मुश्किल जिधर भी देखो जहां भी देखो करते दिखते किल बिल। बाहर चूहे घर में चूहे दरवाजे और दर में चूहे खिड़की और आलों में चूहे थालों और प्यालों में चूहे। ट्रंक में और संदूक में चूहे फौजी की बंदूक में चूहे अफसर की गाड़ी में चूहे नौकर की दाढ़ी में चूहे। पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण जिधर भी देखो चूहे ऊपर नीचे आगे पीछे जिधर भी देखो चूहे। दुबले चूहे मोटे चूहे लंबे चूहे छोटे चूहे काले चूहे गोरो चूहे भूखे और चटोरो चूहे। चूहे भी वो ऐसे चूहे बिल्ली को खा जाए चीले जान बचाएं। चूहो से घबराकर राजा ने किया ऐलान जो उनसे पीछा छुटवाये पाये ढ़ेर ईनाम। सुनकर ये ऐलान वहां पर पहुंचा एक मदारी मस्त कलंदर नाम था उसका मुंह पर लंबी दाढ़ी। झोले से बंसी निकालकर मीठी तान बजाई जिसको सुनकर चूहा सेना दौड़ी दौड़ी आई। कोनों खुदरों से निकले और निकले महल अतारी से नाले नाली से निकले और निकले बक्सपिटारी से। घर की चौखट को फलांगकर आये ढेरों चूहें छत के ऊपर से छलांग कर आये ढ़ेरों चूहे। लाखों चूहों का जलूस चल पड़ा मदारी के पीछे जैसे कोई डोरी उनको लिये जा रही हो खींचे। आगे आगे चला मदारी पीछो चूहे सारे चलते चलते वो जा पहुंचे वीज़र नदी किनारे। वहां पहुंच कर भी ना ठहरा वो छह फुटा मदारी उतर गया दरिया के अन्दर पीछे पलटन सारी। ले गया मदारी सब चूहों को वीज़र नदी के अंदर एक भी जिंदा नहीं बचा सब डूबे नदी के अन्दर। चूहों को यूं मार मदारी राजा के घर आया अपने इनाम का वादा उसको फौरन याद दिलाया। राजा बोलाः क्या कहते हो मिस्टर मस्त कलंदर चूहे तो खुद ही जा डूबे वीज़र के अन्दर। कौन सा तुमने कद्दू में मारा है ऐसा तीर जिसके कारण पुरस्कार दे तुमको मस्त फकीर देखके ऐसी मक्कारी वो रह गया हक्काबक्का उसके भोले मन को इससे लगा जोर का धक्का। गुस्से से हो आगबबूला महल से बाहर आया थैले से बंसी निकाल कर सुंदर राग बजाया। सुनकर उसकी बंसी की धुन बच्चे दौड़े आये। लम्बे बच्चे, छोटे बच्चे दुबले बच्चे, मोटे बच्चे दूर के बच्चे, पास के बच्चे साधारण और खास से बच्चे। हंसते बच्चे, रोते बच्चे जाग रहे और सोते बच्चे गांव, मुहल्ले, डगर के बच्चे। लाखों बच्चों का जमघट चल पड़ा मदारी के पीछे जैसे कोई जादू, उनको लिए जा रहा हो खींचे। ले गया दूर शहर से उनको वो छह फुटा मदारी नहीं रोक पाई बच्चों को नगर की जनता सारी। बिगड़ गयी हैम्लिन की जनता पहुंची राजा के द्वारे बोलीः तेरी बेईमानी से बच्चे गए हमारे। नहीं चाहिए ऐसा राजा करता जो मनमानी वादा करके झुठला देता ये कैसी बेईमानी। राजा से गद्दी छीनी दे डाला देश निकाला और हैम्लिन का राज पाट खुद जनता ने ही संभाला। नये राज ने मस्त मदारी को फौरन बुलवाया माफी मांगी और मुंहमांगा पुरस्कार दिलवाया। सारे बच्चे वापस पहूंचे अपने अपने घर पे पूरे शहर में खुशी मनी और दीये जले दर दर पे।
अच्छे बच्चे हम बच्चे अच्छे स्कूल के, पक्के अपने हैं असूल के। हिल-मिलकर सब संग में पढ़ते हैं, दूरी रखते क्रूर से। कदम बढ़ाकर पथ पे चलेंगे, बुरे कर्म से सदा डरेंगे।> विजय पताका हम गाड़ेंगे, लोग देखेंगे दूर से। कटु वचन न हम बोलेंगे, सच की तराजू पर तौलेंगे।> थाल सजा के करेंगे पूजा, जलेंगे दीप कपूर के।
प्यारी तितली रंग-बिरंगी तितली आई। चंचल नैनों वाली तितली चमचम तारों जैसी छाई। काश हम भी तितली होते, हमारे भी रंग-बिरंगे पंख होते। हम भी आसमान पर छा जाते, हम भी फूलों पर मंडराते। तितली आई, तितली आई, रंग-बिरंगी तितली आई।
सीखो फूलों से तुम हँसना सीखो, भंवरों से नित गाना। वृक्षों की डाली से सीखो, फल आए झुक जाना। सूरज की किरणों से सीखो, जगना और जगाना। लता और पेड़ो से सीखो, सबको गले लगाना। दूध और पानी से सीखो, मिल जुलकर सबसे रहना। अपनी प्रिय पृथ्वी से सीखो, हँस हँस सब कुछ सहना
नटखट बच्चे हम है बच्चे, हे हम थोडे-से कच्चे। बोलने में हम सच्चे, लोग मानते हमे पक्के। पानी में हम खेलते है, धूप में भी हम खेलते है। तंग आकर माँ-बाप डाँटते है, पर हमे न किसी-का फिखर है। खेलना हमारा जिवन, शरारत ही हमारा कर्म। भोले-भाले है हम यार, तंग करने-से होता है प्यार। आपस में हम मिलकर रहते, खेलते-कुदते हँसते-हँसते। जब कोई हमे डराते, तब हम जोर-जोर से रोते।
अच्छे बच्चे कहना हमेशा बड़ो का मानते माता पिता को शीश नवाते, अपने गुरुजनों का मान बढ़ाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते। नहा-धोकर रोज शाला जाते पढ़ाई में सदा अव्वल आते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते। कभी न किसी से झगड़ा करते बात हमेशा सच्ची कहते, ऊंच-नीच का भाव न लाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते। कठिनाइयों से कभी न घबराते हमेशा आगे ही बढ़ते जाते, मीठी बातों से सबका मन बहलाते वे ही बच्चे अच्छे कहलाते।
पापा का डंडा पापा जी का डंडा गोल, मम्मी जी की रोटी गोल, नानी जी की ऐनक गोल, नाना जी का पैसा गोल, बच्चे कहते लड्डू गोल, मैडम कहतीं दुनिया गोल।
मौसी और खिलौने गौरव की मौसी आई, गिनकर चार खिलौने लाई। गौरव दौड़ा-दौड़ा आया, पूड़ी और कचौड़ी लाया।
मम्मी परीलोक की कथा-कहानी हँसकर मुझे सुनातीं मम्मी, फूलों वाले, तितली वाले गाने मुझे सिखातीं मम्मी। खीर बने या गरम पकौड़े पहले मुझे खिलातीं मम्मी, होमवर्क पूरा कर लूँ तो- टॉफी-केक दिलातीं मम्मी। काम अगर मैं रहूँ टालता तब थोड़ा झल्लातीं मम्मी, झटपट झूठ पकड़ लेती हैं मन-ही-मन मुसकातीं मम्मी। रूठूँ तो बस बात बनाकर पल में मुझे मनातीं मम्मी, बड़ा लाड़ला तू तो मेरा- कहकर मुझे रिझातीं मम्मी।
नाना जी नाना जी, ओ ना जी, कल फिर आना नाना जी! बड़ी भली लगती कानों को अजी छड़ी की ठक-ठक-ठक, और सुहाने किस्से जिनमें परियाँ, बौनों की बक-झक। बुन ना पाता कोई ऐसा ताना-बाना नाना जी! खूब झकाझक उजली टोपी लगती कितनी प्यारी है, ढीला कुर्ता, काली अचकन मन जिस पर बलिहारी है। नानी कहती-बचा यही एक चाव पुराना, नाना जी! रोती छुटकी खिल-खिल हँसती जब चुटकुले सुनाते आप, हँसकर उसे चिढ़ाते आप खुद ही मगर मनाते आप। कोई सीखे अजी, आपसे, बात बनाना, नाना जी! सांताक्लाज दंग रह जाए ऐसे हैं उपहार आपके, सरपट-सरपट बढ़ते जाते किस्से अपरंपार आपके। सच बतलाओ, मिला कहीं से, छिपा खजाना नाना जी! नाना जी, ओ नाना जी, कल फिर आना नाना जी!
जोकर सबका मन बहलाता जोकर, हँसता और हँसाता जोकर। झूम-झामकर यह आता है, नए करिश्मे दिखलाता है। उछल बाँस पर चढ़ जाता है, हाथ छोड़कर लहराता है। सिर के बल यह चल सकता है, आग हाथ पर मल सकता है। जलती हुई आग की लपटें, उछल, पार करता यह झट से। अगले पल फिर हल्ला-गुल्ला, गाल फुलाता ज्यों रसगुल्ला। ढीला-ढाला खूब पजामा, लगता है यह सचमुच गामा। फुलझड़ियों-सी हैं मुसकानें, फूलों-जैसे इसके गाने। हरदम हँसता यह मस्ताना, खुशियों का है भरा खजाना!
सारे गामा मेढक मामा, मेढक मामा, क्यों करते हो जी हंगामा? टर्र-टर्र की सुनकर तान, फूट गए अपने तो कान! छोड़ो भी यह गाल फुलाना, दिन भर राग बेसुरा गाना, बात हमारी मानो, मामा, पहले सीखो सारेगामा!
भालू दादा पहन लिया क्या नया लबादा, काले-काले भालू दादा? ठुमक-ठुमककर पाँव बढ़ाते खूब झटककर लंबे बाल, दिखा रहे हैं कितनी बढ़िया लाला झुमरूमल की चाल। फिल्मी अभिनय जब दिखलाते, गर्दन तब मटकाते ज्यादा! कभी-कभी टीचर बन जाते खूब बड़ा-सा लेकर डंडा, हँसकर नमस्कार कर दो तो सारा गुस्सा होता ठंडा। घेरे खड़े अभी तक बच्चे- फिर आओगे, पक्का वादा?
नक्शा नक्शे में नदियाँ-पर्वत हैं नक्शे में पूरा भारत है, इतना छोटा-सा नक्शा पर नक्शे में है सात समंदर!
पापा, दीदी बहुत बुरी है पापा दीदी बहुत बुरी है! बिना बात करती है कुट्टी सीधे मुँह न करती बात, मैं कहता हूँ-खेलो मिलकर मगर चला देती यह लात। हरदम झल्लाया करती है, हरदम इसकी नाक चढ़ी है! मेरे सभी खिलौने लेकर जिस-तिस को दिखलाया करती, माँगूँ तो कह देती ना-ना, मुझ पर रोब जताया करती। सब दिन कहती-पढ़ो-पढ़ो, बस आफत मेरे गले पड़ी है! कभी न अपनी चिज्जी देती उलटे मेरी हँसी उड़ाती, कह देती है सब सखियों से बुद्धू कहकर मुझे चिढ़ाती। बातें करती मीठी-मीठी पर भीतर से तेज छुरी है!
कुक्कू जी ने मेला देखा कुक्कू जी थे खूब रंग में, कुक्कू जी ने मेला देखा! मेले में देखी एक गुड़िया टोप लगाए गुड्डा देखा, ढाई मन की धोबन देखी हा-हा हँसता बुड्ढा देखा। बड़ी भीड़ थी, धक्कम-धक्का, झंझट और झमेला देखा! गरम इमरती खूब उड़ाईं जी भर करके लड्डू खाए, फिर दौड़े झटपट अनार के चूरन की एक पुड़िया लाए। घुँघरू बाँधे ठुन-ठुन करता, जलजीरे का ठेला देखा। मोटे हाथी पर बैठे थे एक मोटे-ताजे लाला जी, हँसकर बोले-आओ-आओ, कुक्कू ने तो बस, टाला जी। शीशमहल में नाटी-तिरछी, शक्लों का एक रेला देखा। एक जगह बंदूक और थे टँगे हुए ढेरों गुब्बारे, कुक्कू जी ने लगा निशाना फोड़ दिए सारे के सारे। ले इाम आए दंगल में- किंगकौंग का चेला देखा।
मन्नू जी, नाराज हो? मन्नू जी, मन्नू जी, क्या नाराज हो? तुम तो भैया, हम सबके सरताज हो! फिर क्यों मन्नू जी, इतने नाराज हो? मन्नू जी, अब आओ न, संग-संग खेलो, आगे बढ़कर बाँहों में बाँहें ले लो। मन्नू जी, हर मुश्किल को पीछे ठेलो, मन्नू जी, हर बाधा को हँसकर झेलो। भूलो सारे दर्द-तराने, मन्नू जी, भूलो सारे गीत पुराने, मन्नू जी। मत लेटो अब लंबी ताने, मन्नू जी, उठकर चल दो फिर कुछ पाने, मन्नू जी। ठीक करो सब ताने-बाने, मन्नू जी, ताजा कर लो फिर पहचानें, मन्नू जी। थोड़ा खिल-खिल हँस दो, प्यारे मन्नू जी, तारों के संग नाचें तारे, मन्नू जी। पता नहीं इन बातों में क्या राज हो? मन्नू जी, मन्नू जी, क्या नाराज हो?
सड़क कहाँ-कहाँ से आतीं सड़कें और कहाँ को जाती हैं, दौड़-दौड़कर जाती हैं ये दौड़-दौड़कर आती हैं। पर शायद यह सही नहीं है सड़क वहीं पर रहती है, दौड़ा तो करते हैं हम-तुम सड़क सभी कुछ सहती है। बोलो-बोलो, सड़क, तुम्हारी छाती पर है बोझा कितना? समझ न पाओगे तुम भैया- बोझा है छाती पर इतना! इतना बोझा ढोकर भी मैं आह नहीं, पर करती हूँ, मेरा तप बस यही-यही है- सोच, सभी कुछ सहती हूँ। मैं बोल-ओ सड़क, तुम्हारी कठिन तपस्या भारी है, तुमसे ही जीवन में गति है जग इसका आभारी है! बोली सडत्रक-याद यह रखना नहीं रौंदना मुझको तुम, नहीं तोड़ना, नहीं फोड़ना तब जी लेंगे मिल हम-तुम! तब से भाई, जान गया हूँ बड़े काम की चीज सड़क है, जो इस पर कूड़ा फैलाते उनसे होती मुझे रड़क है!
चतुर चित्रकार चित्रकार सुनसान जगह में बना रहा था चित्र। इतने ही में वहां आ गया यम राजा का मित्र।। उसे देखकर चित्रकार के तुरंत उड़ गये होश। नदी पहाड़ पेड़ फिर उसको कुछ हिम्मत आई देख उसे चुपचाप। बोला सुन्दर चित्र बना दूं बैठ जाइये आप।। उकरू मुकरू बैठ गया वह सारे अन्ग बटोर। बड़े ध्यान से लगा देखने चित्रकार की ओर।। चित्रकार ने कहा हो गया आगे का तैयार। अंब मुंह आप उधर तो करिये जंगल के सरदार।। बैठ गया वह पीठ फिराकर चित्रकार की ओर। चित्रकार चुपके से खिसका जैसे कोई चोर।। बहुत देर तक आंख मूंदकर पीठ घुमाकर शेर। बैठ बैठ लगा सोचने इधर हुई क्यों देर।। झील किनारे नाव लगी थी एक रखा था बांस। चित्रकार ने नाव पकड़कर ली जी भरके सांस।। जल्दी जल्दी नाव चलाकर निकन गया वह दूर। इधर शेर था धोखा खाकर झुंझलाहट में चूर।। शेर बहुत खिसियाकर बोला नाव जरा ले रोक। कलम और कागज तो ले जा रे कायर डरपोक।। चित्रकार ने कहा तुरन्त ही रखिये अपने पास। चित्रकला का आप कीजिए जंगल में अभ्यास।।
कितना और पढूँ मैं? कितना और पढूँ मैं बाबा, कितना और पढूँ? पापा कहते, पढ़ो-पढ़ो जी मम्मी कहती, अब तू पढ़ ले दादी कहतीं-लिखन-पढ़न की सभी सीढ़ियाँ चढ़ ले। सिर पर लेकर भारी पत्थर डगमग-डगमग कदम बढ़ाकर, कितने दुर्ग चढूँ मैं बाबा कितने दुर्ग चढूँ? बस्ता है या भारी पत्थर नहीं भावना इसमें दिल है, चाहे जितनी मेहनत कर लो आती पास नहीं मंजिल है। खेल-कूद से छुट्टी कर लूँ क्या मित्रों से कुट्टी कर लूँ? कितना और कुढूँ मैं बाबा कितना और कुढूँ? झंझट हैं ये मोटे पोथे जैसे कठिन लड़ाई हो, निकल इन्हीं से दुश्मन सेना मुझे पीटने आई हो। यहाँ फँसा हूँ, वहाँ फँसा हूँ सब दिन सब डरता रहता हूँ, कितना और लडूँ मैं बाबा कितना और लडूँ?
मेढक मामा मेढक मामा मेढक मामा, खेल रहे क्यों पानी में, पड़ जाना बीमार कहीं मत वर्षा की मनमानी में। मेढक मामा मेढक मामा, नभ में बादल छाए हैं, इसीलिए क्या टर्र-टर्र के स्वागत-गीत सुनाए हैं। मेढक मामा, उछलो-कूदो बड़े गजब की चाल है, हँसते-हँसते मछली जी का हाल हुआ बेहाल है! मेढक मामा, सच बतलाओ, कब तक बोंबे जाओगे, बढ़िया रेनी कोट सिलाओ, फिर हीरो बन जाओगे!
जाड़ा सर्द हवा का बजा नगाड़ा, खूब जोर से आया जाड़ा। कोट-पैंट की फिर सुध आई, झाँके स्वेटर, शॉल-रजाई। मौसम की ऐसी मनमानी, बर्फ सरीखा लगता पानी। छोटे दिन और लंबी रातें, खत्म नहीं होतीं अब बातें। स्वाद चाय का लेकर गाढ़ा, ऋतु पढ़ती है नया पहाड़ा।
गड़बड़ घोटाला यह कैसा है घोटाला कि चाबी मे है ताला कमरे के अंदर घर है और गाय में है गोशाला। दातों के अंदर मुंह है और सब्जी में है थाली रूई के अंदर तकिया और चाय के अंदर प्याली। टोपी के ऊपर सर है। और कार के ऊपर रस्ता ऐनक पे लगी हैं आंखें कापी किताब में बस्ता। सर के बल सभी खड़े हैं पैरों से सूंध रहे हैं घुटनों में भूख लगी है और टखने ऊंघ रहे हैं। मकड़ी में भागे जाला कीचड़ में बहता नाला कुछ भी न समझ में आये यह कैसा है घोटाला। इस घोटाले को टालें चाबी तालें में डालें कमरे को घर में लायें गोशाला में गाय को पालें। मुंह में दांत लगाये सब्जी से भर लें थाली रूई तकिए में ठूंसें चाय से भर लें प्याली। टोपी को सर पर पहनें रस्ते पर कार चलायें आंखों पे लगायें ऐनक बस्ते में किताबे लायें। पैरों पे खड़े हो जायें और नाक से खुशबू सूंघें भर पेट उड़ाये खाना और आंख मूंद के ऊंघे। जाले में मकड़ी भागे कीचड़ नाले में बहता अब सब समझ में आये कुछ घोटाला ना रहता।
दादा जी का सोंटा फौरन बिगड़ी बात बनाता, करामात अपनी दिखलाता- दादा जी का सोंटा! बड़ा लाड़ला प्यारी साथी दादा जी के संग दिन-राती, आते-जाते दौड़ लगाता मंदिर जाता, मेले जाता। हरदम, हर पल साथ निभाता- दादा जी का सोंटा! बड़ा चौक, जौहरी बाजार पहचाने सब आँगन-द्वार दादा जी के संग घूमा है मस्ती में संग-संग झूमा है। इसीलिए तो रोब दिखाता- दादा जी का सोंटा! चिंटू करता अगर शरारत तब आती है उसकी आफत, छुटकी ज्यादा शोर मचाती होमवर्क में देर लगाती। तब अपने तेवर दिखलाता- दादा जी का सोंटा!
टीपूलाल टीपूलाल, टिपोलीलाल, भैया, यह कैसा है हाल! उड़े-उड़े से तुम रहते हो, कुछ गुमसुम-गुमसुम रहते हो। टीपू जी, अब थोड़ा पढ़ लो, वहीं खड़े हो, थोड़ा बढ़ लो। टीप-टीपकर क्या होना है, रोना-आखिर में रोना है। टीपूलाल, टिपोलीलाल, भैया, कितना टीपा माल! जो टीपा था, काम न आया, इसीलिए क्या मन झल्लाया? जीरो, जीरो, सबमें जीरो, भैय, तुम हो कैसे हीरो! साइंस, हिस्ट्री या भूगोल सबमें ही बस डब्बा गोल! इसीलिए क्या ऐंची-बेंची, शक्ल तुम्हारी है उल्लू-सी। टीपू जी, अब बात न करते, खुद से ही क्यों इतना डरते, टीपूलाल, टिपोलीलाल, भैया, क्यों उखड़ी है चाल? इससे तो अच्छा है पढ़ लो, थोड़ा भाई, आगे बढ़ लो। पढ़ो-लिखो तो मिले बड़ाई नकल किसी के काम न आई सीखो भाई, अच्छी बात, तो दिन में ना होगी रात। टीपूलाल, टिपोलीलाल, नकल टिपाई को दो टाल। तब बदलेंगे सचमुच हाल, वरना नहीं गलेगी दाल। टीपूलाल, टिपोलीलाल, भैया, क्यों उखड़ी है चाल, ऐसी क्यों उखड़ी है चाल!
पापा जी पापा जी, ओ पापा जी, मेरे अच्छे पापा जी! बिना बात का गुस्सा छोड़ो बिना बात की नाराजी, पापा जी, ओ पापा जी! पहले तो चल करके बज्जी हमको बढ़िया कार दिलाओ, कार दिला करके रसगुल्ले और इमरती गरम खिलाओ। छोड़ो-छोड़ो सभी बहाने छोड़ो सारी मनमर्जी, कल का वादा, झूठा वादा- आज घुमाने चल दो जी! पापा जी, ओ पापा जी! थोड़ा पढ़ ले, अब तू पढ़ ले- सारे दिन बस एक कहानी, कभी जरा-सा सुर तो बदलो करने दो हमको मनमानी! घर में पड़ते पैर आपका, दिल मेरा बस काँपा जी, क्यों ऐसा है पापा जी? गुस्सा छोड़ो पापा जी पापा जी, ओ पापा जी! मेरे अच्छे पापा जी!
पानी का मौसम फिर आया पानी का मौसम। तेज फुहारों में इठलाएँ जी भर भीगें, खूब नहाएँ, पानी में फिर नाव चलाएँ- आया शैतानी का मौसम! ठंडी-ठंडी चली हवाएँ छेड़ें किस्से, मधुर कथाएँ, कानों में रस घोल रहा है- कथा-कहानी का मौसम! अंबर ने धरती को सींचा हरी घास का बिछा गलीचा, कुहू-कुहू के संग आ पहुँचा- कोयल रानी का मौसम! जामुन, आम, पपीते मीठे खरबूजे लाया मिसरी से, गरम पकौड़े, चाय-समोसे- संग-संग गुड़धानी का मौसम! छतरी लेकर सैर करें अब मन में फिर से जोश भरें अब, लहर-लहर लहरों से खेलें- आया मनमानी का मौसम!
लाला जी की तोंद लाला जी की प्यारी तोंद, ढाई मन यह भारी तोंद! इसमें, पिस्ता-दूध-मलाई खोया, बरफी, बालूशाही, आम, पपीते औ’ अंगूर मन भर लड्डू मोतीचूर। खाते-खाते थक्कर भाई, हिम्मत कभी न हारी तोंद! मालिश इस पर करते लाला, तेल पिलाकर इसको पाला, आगे गोल, पीछे गोल- तोंद बनी लाला की पोल। पीछे-पीछे लाला चलते- आगे सजी-सँवारी तोंद! हर दिन कपड़े छोटे होते लाला जी तब बरबस रोते, भीड़-भाड़ मंे चलते डरकर हाथ लगा, जा गिरे सड़क पर। सचमुच, आफत हो जाती यदि- होती कभी हमारी तोंद!
पंपापुर जाना है पंपापुर जाना है हमको पंपापुर जाना है, पंपापुर जाकर मस्ती का रंग जमाना है!... पंपापुर जाना है! पंपापुर जिसमें बच्चों की इक दुनिया है प्यारी, खेलकूद, सर्कस, मेलों में खुशियाँ बिखरीं सारी। पंपापुर में अलग सभी से रंग, रंग, बस रंग, पंपापुर में है जीने का एक नया ही ढंग। पंपापुर में तो सपनों का ताना-बाना है, पंपापुर से अजी हमारा प्यार पुराना है। भूल गए हम पंपापुर को पंपापुर भी भूला, पर पंपापुर जाना है अब पंपापुर जाना है! पंपापुर जाकर फूलों से थोड़ा हम खेलेंगे, नाचेंगे हम झूम-झूमकर हाथ-हाथ में लेंगे। पंपापुर में नाटक-कविता या प्यारी कव्वाली, पंपापुर में रोज मनेगी हाँ, अपनी दीवाली! चलो-चलो जी, आज चलेगा नहीं बहाना है, नहीं वहाँ कुछ भी खोना है सब कुछ बस पाना है! पंपापुर जाना है- हमको पंपापुर जाना है! पंपापुर में खेल-कूद की है सबको आजादी किस्से खूब सुनाया करती थी कल तक यह दादी। पंपापुर में खुशी-खुशी, हर बच्चा नाच दिखाए, पंपापुर में फूल-फूल, हर तितली सुर में गाए! गाना है-गाते-गाते ही पंपापुर जाना है, पंपापुर में बच्चों का एक देश बसाना है। पंपापुर...पंपापुर...मन में, एक तराना है! पंपापुर जाना है हमको पंपापुर जाना है।
आलपिन के सिर होता आलपिन के सिर होता पर बाल नहीं होता है एक कुर्सी के टांगे हैं पर फुटबाल नहीं फेंक सकती है फेंक। कंघी के हैं दांत मगर वह चबा नहीं सकती खाना गला सुराही का है पतला किन्तु न गा सकती गाना। जूते के है जीभ मगर वह स्वाद नहीं चख सकता है आंखे रखते हुए नारियल कभी न कुछ लख सकता है। है मनुष्य के पास सभी कुछ ले सकता है सबसे काम इसीलिए सबसे बढ़कर वह पाता है दुनिया में नाम।
घडी है करती टिक टिक टिक गाड़ी करती छुक छुक छुक घंटी बजती ठुन ठुन ठुन गुड़िया नाचे छुन छुन छुन घोडा भागे टप टप टप पानी बरसे छप छप छप चिड़िया करती चूँ चूँ चूँ मुन्नी रोती ऊँ ऊँ ऊँ
बच्चो की नटखट कवितायें बिल्ली मौसी बड़ी सयानी सारे घर की प्यारी रानी बड़े मजे से दूध पी जाती चूहों को है नाच नचाती
बच्चो की नटखट कवितायें गोल गोल पानी मम्मी मेरी रानी पापा मेरे राजा फल खाए ताज़ा सोने की चिड़िया चाँदी का दरवाजा उसमे कौन आएगा मेरा भैया राजा
नानी नानी सुनो कहानी नानी नानी सुनो कहानी एक था राजा एक थी रानी राजा बैठा घोड़े पर रानी बैठी पालकी पर बारिश आई बरसा पानी भीगा राजा बच गयी रानी
छूटी मेरी रेल छूटी मेरी रेल रे बाबू छूटी मेरी रेल हट जाओ हट जाओ भैया मैं न जानूं फिर कुछ भैया टकरा जाये रेल धक् धक् धक धक् धू धू धू धू भक् भक् भक् भक् भू भू भू भू छक् छक् छक् छक् छू छू छू छू करती आई रेल सुनो गार्ड ने दे दी सीटी टिकट देखता फिरता टीटी छूटी मेरी रेल
बसंत की हवा के साथ बसंत की हवा के साथ रंगती मन को मलती चेहरे पर हाथ ये होली लिए रंगों की टोली लाल गुलाबी बैंगनी हरी पीली ये नवरंगी तितली है आज तो जाएगी घर घर दर दर ये मौज मनाएंगी भूल पुराने झगड़े सारे सबको गले लगाएगी पीली फूली सरसौं रानी
नया साल है नया साल है नया साल है नया साल है खूब ख़ुशी है खूब धमाल है पढ़ने लिखने से छुट्टी है घर बाहर हर पल मस्ती है खाना पीना माल टाल है नया साल है नया साल है सभी ओर उत्सव की धूम है लगा साथियों का हुजूम है गाना वाना मस्त ताल है नया साल है नया साल है
पूरब का दरवाज़ा खोल पूरब का दरवाज़ा खोल धीरे-धीरे सूरज गोल लाल रंग बिखरता है ऐसे सूरज आता है गाती हैं चिड़ियाँ सारी खिलती हैं कलियाँ प्यारी दिन सीढ़ी पर चढ़ता है ऐसे सूरज बढ़ता है ऐसे तेज़ चमकता है गरमी कम हो जाती है धूप थकी सी आती है सूरज आगे चलता है ऐसे सूरज ढलता है
देखो एक डाकिया आया देखो एक डाकिया आया थैला एक हाथ में लाया पहने है वो खाकी कपड़े चिट्ठी कई हाथ में पकड़े बांट रहा घर-घर में चिट्ठी मुझको भी दो लाकर चिट्ठी चिट्ठी में संदेशा आया शादी में है हमें बुलाया शादी में सब जाएंगे हम खूब मिठाई खाएंगे हम
कुकड़ू कु भई कुकड़ू कु कुकड़ू कु भई कुकड़ू कु, कहे मुर्गा कुकड़ू कु, उठो बच्चों आलस क्यूँ, कुकड़ू कु भई कुकड़ू कु, मुर्गा बोले कुकड़ू कु
सुबह सवेरे आती तितल सुबह सवेरे आती तितली, फूल फूल पर जाती तितली, हरदम है मुस्काती तितली, सबकी मन को भाती तितली
दादजी के बाल सफ़ेद दादजी के बाल सफ़ेद पर्वत की है बर्फ सफ़ेद हम सब के है दांत सफ़ेद सागर का है झाग सफ़ेद मैडम की है चौक सफ़ेद
सीटी बोली भागी रेल सीटी बोली भागी रेल, छुक छुक छुक छुक करती रेल बिछुडो से मिलवाती रेल दूर दूर ले जाती रेल
सबके मन को बहुत ही भाता TV सबके मन को बहुत ही भाता TV कितने करतब है दिखलाता कभी हँसाता कभी रुलाता दूर देख की सैर कराता तरह तरह के स्वांग रचता जादुई डिब्बा है कहलाता
आज इतवार है आज इतवार है तोते को बुखार है तोता गया बाग़ बाग़ मे था Dr Dr ने लगायी सुई तोता बोला उई उई उई
तुम हो किसके फैन तुम हो किसके फैन लिखो तुम हो किसके फैन अंकल नहीं जानते आप सबको भाता सुपर मैंन मिक्की माउस पुराना है स्पाइडर मैंन को आना है मेरे सारे मुश्किल काम उसको ही निपटाना है
पोशम पा भाई पोशम पा पोशम पा भाई पोशम पा डाकूओं ने क्या किया सौ रुपये की घड़ी चुराई अब तो जेल में जाना पड़ेगा जेल का खाना खाना पड़ेगा जेल का पानी पीना पड़ेगा अब तो जेल में जाना पड़ेगा
मुझको घंटी भाती है मुझको घंटी भाती है पापा के मोबाइल की उनको ध्यान दिलाती है आफिस की फाइलो की जिस दिन मुझे मिलेगा फ़ोन बात करूँगा मे फ़ौरन सचिन से, बच्चन जी से आवाज बदल कर मैंडम से
टी.वी मे देखा मैंने टी.वी मे देखा मैंने बच्चो को दिशुम दिशुम करते खो दिए ख़ुशी से मैंने होश मुझको भी फिर आया जोश बबलू को मारा चांटा तिनकी को मारा घूसा लेकिन मुझको पता था क्या डॉट पड़ी माँ से पापा ने कान खिचे
कहते है, परियो की रानी कहते है, परियो की रानी रहती है पर्वत के पार रात चांदनी मे आ जाती अपने नील पंख पसार गुन गुन, गुन गुन, गाना गाती फूले से करती श्रृंगार छम छम छम छम नाच दिखती, उसके सुन्दर सखिया चार
प्यार दो दुलार दो प्यार दो दुलार दो हम बच्चो को प्यार दो हमे शरारत भाती है आपको गुस्सा आता है आपको हम कैसे मना करे जो जी मे आये वो करे पर गुस्से को तो मार दो हम बच्चो को प्यार दो
होली का है हंगामा होली का है हंगामा उड़ता है लाल गुलाल इधर उधर सब दौड़ रहे है तेज हो गयी है चाल दादी जी पर रंग डाला तो आ गया भूचाल
चंदा मामा गोल मटोल चंदा मामा गोल मटोल कुछ तो बोल कुछ तो बोल कल थे आधे आज हो गोल खोल भी दो अब अपनी पोल रात होते ही तुम आ जाते संग संग सितारे लाते और दिन मे कहा छिप जाते हो कुछ तो बोल कुछ तो बोल वो भी भागी ले पिचकारी हो गया न आज कमाल
खेलो खेल खिलोनो से खेलो खेल खिलोनो से मत खेलो बंदूक तलवार से न कहो शटउप, न करो शूट पहनो हरदम सूट बूट आपस मे लड़ना कैसे कह दो हमसे हो गयी भूल फिर भी न माने कोई दे दो प्यारा सा एक फूल
मेरा एक प्यारा परिवार है मेरा एक प्यारा परिवार है इसमे दादा दादी है छोटे चाचू मेरे दोस्त खेल खिलाती चाची है मम्मी पापा सबसे अच्छे लम्बे ताऊ छोटी ताई हम सब मिलकर रहते है सारे सुख दुःख साथ सहते है
मेरा देश निराला है मेरा देश निराला है यहाँ कोई गोरा कोई काला है पर आपस मे प्यार है सुन्दर सुन्दर त्यौहार है यहां हर बच्चा वीर है शक्ति की तस्वीर है देश का नाम है हिंदुस्तान हम सब इसकी है संतान
लाल बत्ती कहती थम लाल बत्ती कहती थम चलते चलते रुकते हम पीली कहती होशियार रुकने को हो जा तैयार हरी बताये चलते जाओ आगे आगे बढ़ते जाओ
आओ बच्चो प्यारे बच्चो आओ बच्चो प्यारे बच्चो मिलकर खेले हम एक खेल आगे पीछे जुड़कर बच्चो चलो बना ले लम्बी रेल जो तोड़ेगा खेल की रेल उसको जाना होगा जेल अगर प्यार से खेले हम सब बढ़ता है बच्चो मे मेल
प्यास लगे तो पीयें पानी प्यास लगे तो पीयें पानी नहाने धोने मे भी पानी पौधे मे हम डाले पानी कुत्ता बिल्ली मांगे पानी| बिन पानी हम जी न पाएं फिर पानी क्यों व्यर्थ बहाये नल मे खुला न छोड़ो पानी टप टप टप टप बहा पानी पानी को तुम खूब बचाओ काम पड़े तब उसे बहाओ
कौवा आया कौवा आया कौवा आया कौवा आया छीन किसी से रोटी लाया एक लोमड़ी बड़ी सायानी उसमे मुहं मे आया पानी बोली भैया गीत सुनाओ गीत सुनाकर मन बहलाओ सुनकर यह कौवा हर्षाया कावं कावं करके कुछ गाया गिरी चोच से उसकी रोटी भाग उठी लोमड़ी मोटी
देखो एक मदारी आया देखो एक मदारी आया साथ मैं बन्दर-बंदरिया लाया डम डम डमरू बजा रहा है अपना बन्दर नचा रहा है चली बंदरिया देकर ताने बन्दर उसको लगा मनाने
बिस्तर पर मै सोयी थी बिस्तर पर मै सोयी थी सपनो मे मैं खोयी थी एक परी उड़कर आई मुझे देखकर मुस्काई| तरह तरह के दे उपहार चली गयी वह पंख पसार दोनों ने है रंग जमाया कितना सुन्दर खेल दिखाया
तरह तरह के करता काम तरह तरह के करता काम कंप्यूटर है इसका नाम इसमे होती C D ड्राइव दिखलाती तुमको सब लाइव इसमे होता एक मॉनिटर जितनी चाहो देखो पिक्चर तरह तरह के खेलो खेल इससे भेजो तुम E-मेल
लालाजी ने केला खाय लालाजी ने केला खाया केला खा के मुंह पिचकाया मुंह पिचका के कदम बढाया पैर के नीचे छिलका आया लालाजी तो गिरे धड़ाम मुंह से निकला हाय राम हाय राम हाय राम
कोयल रानी कोयल रानी कोयल रानी काली काली बड़ी सयानी किस झरने का पीती पानी हो गयी जिससे मीठी वाणी
गाड़ी करती छुक छुक छुक गाड़ी करती छुक छुक छुक घंटी बजती ठुन ठुन ठुन गुड़िया नाचे छुन छुन छुन घोडा भागे टप टप टप पानी बरसे छप छप छप चिड़िया करती चूँ चूँ चूँ मुन्नी रोती ऊँ ऊँ ऊँ
नन्ही जल की बूदें नन्ही जल की बूदें प्यारी-प्यारी जल की बूंदें बरसातों में खेलें-कूदें ऊपर से गिरकर मिट जाए सभी बच्चों का दिल बहलाए सारे मिल बूंदें बन जाएं तब मानव की प्यास बुझाएं पानी को हम चलो बचाएं बिना वजह इसे न बहाएं
रंग-बिरंगे प्यारे फूल रंग-बिरंगे प्यारे फूल प्रातः बाग में खिलते फूल भौरें रहे कलियों पर झूल। सूरज जब सिर पर आता खूब गर्मी बरसाता। लेकिन जब है बारिश आती गर्मी सारी कहीं भाग जाती तब खिलते हैं धरती पर रंग-बिरंगे प्यारे फूल। सभी फूल हंसते हैं बाग में जैसे बच्चों की मुस्कान
तितली हूं या परी तितली हूं या परी होठों पर मुस्कान खिली है आंखों में है जादू मुझे देखकर खुश कितने हैं मेरे अम्मा बापू मुंडन अभी करा के आई लगती हूं मैं कैसी फूलों पर बैठी तितली हूं या हूं परियों जैसी
चिड़िया के थे बच्चे चार चिड़िया के थे बच्चे चार घर से निकले पंख पसार दूर-दूर तक घूम के आये घर आकर के वे चिल्लाए देख लिया हमने जग सारा अपना घर है सबसे प्यारा
फूल फूल तुम कितने अच्छे फूल फूल तुम कितने अच्छे तुम्हे प्यार करते है बच्चे रंग तुम्हे दे जाता कौन इत्र छिड़क महकाता कौन बतलाओ तो उसका नाम करे सदा जो अच्छे काम
मुझ से भारी मेरा बस् मुझ से भारी मेरा बस्ता हो गई मेरी हालत खस्ता इसे उठाकर आना मुश्किल सभी पुस्तके लाना मुश्किल कोई टीचर को समझाये इसको कुछ हल्का करवाए
मेरी गुड़िया प्यारी-प्यार मेरी गुड़िया प्यारी-प्यारी बातें उसकी न्यारी-न्यारी नन्हीं सी यह फूल सी बच्ची छोटी सी पर दिल की सच्ची कोमल-कोमल हाथों वाली नीली-नीली आँखों वाली गोरे-गोरे गाल हैं उसके भूरे-भूरे बाल हैं उसके
ऊंट मरुस्थल का राजा है ऊंट मरुस्थल का राजा है कड़ी धूप में भी ताज़ा है पानी पी ले एक दो घूँट मीलों सरपट दौड़े ऊँट
हाथी राजा बहुत बड़े हाथी राजा बहुत बड़े हाथी राजा बहुत बड़े सूंड उठा कर कहाँ चले मेरे घर तो आओ ना हलवा पूरी खाओ न आओ बैठो कुर्सी पर कुर्सी बोली चर चर चर
लकड़ी की काठी लकड़ी की काठी काठी पे घोडा , घोड़े की दुम पे मारा जो हथौड़ा , दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोडा दुम उठा के दौड़ा , घोडा पहुंचा चौक में चौक में था नाई , घोड़े जी की नाईजी ने हजामत जो बनाई , चग - बग चग - बग चग - बग चग - बग , घोडा पहुंचा चौक पर... दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोडा दुम उठा के दौड़ा , घोडा था घमंडी पहुंचा सब्जी मंडी , सब्जी मंडी बर्फ पड़ी थी , बर्फ में लग गई ठंडी , चग - बग चग - बग चग - बग चग - बग , घोडा था घमंडी ... दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोडा दुम उठा के दौड़ा , घोडा अपना तगड़ा है देखो कितनी चरबी है , चलता है महरौली में पर घोडा अपना अरबी है , चग - बग चग - बग चग - बग चग - बग , घोडा अपना तगड़ा है ... बाँह छुड़ा के दौड़ा घोडा दुम उठा के दौड़ा .. लकड़ी की काठी काठी पे घोडा , घोड़े की दुम पे मारा जो हथौड़ा , दौड़ा दौड़ा दौड़ा घोडा दुम उठा के दौड़ा ॥
मछली जल की रानी है मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है , हाथ लगाओ डर जाएगी , बाहर निकालो मर जाएगी ।
धोबी आया धोबी आया, धोबी आया, कपड़े साथ कपड़े साथ , कितने कपड़े लाया , एक, दो, तीन चार , पाँच , छः सात, आठ , नौ दस, दस, दस और बस ।
लाला जी ने केला लाला जी ने केला खाया , केला खा के मुंह पिचकाया , मुंह पिचका के छिलका फेंका , छड़ी उठाकर कदम बढ़ाया , कदम के नीचे छिलका आया , लालाजी तो गिरे धड़ाम , हड्डी पसली दोनों टूटी , मुहँ से निकला हाय राम ,हाय राम, हाय राम हाय राम, हाय राम ॥
पानी बरसा पानी बरसा छम छम छम ऊपर छाता नीचे हम , छाता लेकर निकले हम , पैर फिसल गया , गिर गए हम ॥
चुन चुन करती चुन चुन करती आई चिड़िया , दाल का दाना लाई चिड़िया , मोर भी आया , कौवा भी आया , चूहा भी आया , बंदर भी आया चुन चुन करती ... भूख लगे तो चिड़िया रानी , मूंग की दाल पकाएगी कौवा रोटी लाएगा लाके उसे खिलाएगा मोर भी आया ... चलते चलते मिलेगा भालु हम बोलेंगे नाचो कालू मुन्ना ढोल बजाएगा भालू नाच दिखाएगा मोर भी आया ... चुन चुन करती आई चिड़िया साथ हमारे चले बराती मैं तो हूँ मुन्ने का हाथी सीधे दिल्ली जाऊंगा तेरी दुल्हनिया लाऊँगा मोर भी आया ... ॥
मम्मी की रोटी मम्मी की रोटी गोल गोल , पापा का पैसा गोल गोल , दादा का चसमा गोल गोल , दादी की बिंदिया गोल गोल , मम्मी की बेटी गोलमटोल ।
चुन्नू मुन्नू थे दो भाई चुन्नू मुन्नू थे दो भाई , रसगुल्ले पर हुई लड़ाई , चुन्नू बोला मैं खाऊँगा , मुन्नू बोला मैं खाऊँगा , हल्ला सुन कर मम्मी आई , दोनों को एक चपत लगाई , कभी न लड़ना कभी न झगड़ना , आपस में तुम मिलकर रहना ।
तितली उडी तितली उडी उड़ ना सकी , बस में चढ़ी सीट ना मिली , सीट ना मिली रोने लगी , फूल ने कहा आजा मेरे पास , तितली बोली मैं चली आकाश ॥ तितली उडी उड़ ना सकी , ट्रेन में चढ़ी , सीट ना मिली , सीट ना मिली रोने लगी , फूल ने कहा आजा मेरे पास , तितली बोली मैं चली आकाश ॥ तितली उडी उड़ ना सकी , प्लेन में चढ़ी , और सीट ना मिली , सीट ना मिली रोने लगी , फूल ने पूछा जाना है कहाँ , जाना है मुझे बादलों के पास , फूल ने कहा चलो मेरे साथ , आए हम बादलों के पास ॥
मेरी गुड़िया मैं इसको कपड़े पहनाती , इसको अपने साथ सुलाती , ये है मेरी सखी सहेली , नहीं छोड़ती मुझे अकेली । मेरी गुड़िया , मेरी गुड़िया मेरी गुड़िया , मेरी गुड़िया हंसी खुशी की है ये पुड़िया । ना ये ज्यादा बात बनाए, मेरी बात सुनती जाए । काभी कुछ बोलती नहीं , काभी मुझसे रूठती नहीं , मेरी गुड़िया , मेरी गुड़िया हंसी खुशी की है ये पुड़िया । इसके हैं सुनहरे बाल गोरे गोरे हैं इसके गाल आंखे इसकी गोल गोल रूप इसका है अनमोल मेरी गुड़िया , मेरी गुड़िया हंसी खुशी की है ये पुड़िया । सुनती है मुझसे कहानी मेरी है ये गुड़िया रानी गाना इसको रोज सुनाती , लेकिन खाना नहीं ये खाती , मेरी गुड़िया , मेरी गुड़िया हंसी खुशी की है ये पुड़िया ।
नानी तेरी मोरनी नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए , बाकी जो बचा था काले चोर ले गए, खाके पीके मोठे होके चोर बैठे रेल में , चोरोवाला डब्बा कट के पहुंचा सीधा जेल में , उन चोरों की खूब खबर ली मोटे थानेदार ने , मोरों को भी खूब नचाया जंगल के सरकार ने , अच्छी नानी , प्यारी नानी , रुसारूसी छोड़ दे , जल्दी से एक पैसा दे दे , तु कंजूसी छोड़ दे ।।
बंदर मामा पहन पैजमा बंदर मामा पहन पैजमा दावत खाने आए । ढीला कुर्ता , टोपी, जूता पहन बहुत इतराए । रसगुल्ले पर जी ललचाया , मुँह में रखा गप से । नरम नरम था , गरम गरम था , जीभ जल गई लप से । बंदर मामा रोते रोते वापस घर को आए । फेंकी टोपी , फेंका जूता , रोए और पछताए ।
देखो एक डाकिया आया देखो एक डाकिया आया थैला एक साथ में लाया पहने है वो खाकी कपड़े चिट्ठी कई हाथ में पकड़े देखो एक डाकिया आया बाँट रहा घर-घर में चिट्ठी मुझको भी दो लाकर चिट्ठी चिट्ठी में सन्देशा आया शादी में है हमे बुलाया शादी में सब जाएंगे हम खूब मिठाई खाएंगे देखो एक डाकिया आया थैला एक साथ में लाया
ऊपर पंखा चलता है ऊपर पंखा चलता है, नीचे मुन्ना सोता है , सोते सोते भूख लगी , खाले बेटा मूंगफली , मूंगफली में दाना नहीं , हम तुम्हारे मामा नहीं , मामा गए दिल्ली , वहाँ से लाए दो बिल्ली , बिल्ली ने मारा पंजा , मामा हो गए गंजा ॥
आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे , बैगन की टोकरी में सो रहे थे , बैंगन ने लात मारी रो रहे थे , मम्मी ने प्यार किया हँस रहे थे , पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे , भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे ॥ आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे बैगन की टोकरी में सो रहे थे , बैंगन ने लात मारी रो रहे थे , मम्मी ने प्यार किया हँस रहे थे , पापा ने पैसे दिए नाच रहे थे , भैया ने लड्डू दिए खा रहे थे ॥
नानी माँ ने तोता पाला नानी माँ ने तोता पाला , करता दिन भर घड़बड़झाला । पिंजरे में ही दौड़ लगाता , मिट्टू -मिट्टू कह कर गाता । नानी माँ ने तोता पाला , करता दिन भर घड़बड़झाला । जाने कब करता आराम , नाम बताता मिट्टू राम , मिट्टू राम मिट्टू राम आया मिट्टू राम
आलू बोला मुझको खा लो आलू बोला मुझको खा लो मैं तुमको मोटा कर दूंगा । पालक बोली मुझको खा लो मैं तुमको ताकत दे दूंगी । गोभी , मटर , टमाटर बोले गाजर , भिंडी , बैंगन बोले अगर हमें भी खाओगे। जल्दी बड़े हो जाओगे । गाजर बोला मुझको खा लो मैं तुमको विटामिन दूंगा । भिंडी बोली मुझको खालो मैं तुमको हेल्थी कर दूँगी । गोभी , मटर , टमाटर बोले गाजर , भिंडी , बैंगन बोले अगर हमें भी खाओगे। जल्दी बड़े हो जाओगे । अगर हमें भी खाओगे। जल्दी बड़े हो जाओगे ।
बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी बिल्ली मौसी , कहो कहाँ से आई हो । कितने चूहे मारे तुमने , कितने खा कर आई हो , क्या बताऊँ शीला बहन , आज कुछ नहीं पेट भरा , एक ही चूहा खाया मैंने , वो भी बिल्कुल सड़ा हुआ ।
तितली रानी तितली रानी तितली रानी तितली रानी इतने सुंदर पंख कहाँ से लाई हो क्या तुम कोई शहजादी हो परिलोक से आई हो फूल तुम्हें भी अच्छे लगते फूल हमें भी भाते हैं वह तुमको कैसे लगते हैं जो फूल तोड़ ले जाते हैं तितली रानी तितली रानी इतने सुंदर पंख कहाँ से लाई हो क्या तुम कोई शहजादी हो परिलोक से आई हो फूल तुम्हें भी अच्छे लगते फूल हमें भी भाते हैं वह तुमको कैसे लगते हैं जो फूल तोड़ ले जाते हैं
शेर की बारात में शेर की बारात में, धूम मचेगी रात में । हाथी की सवारी होगी , पीछे घोडा-गाड़ी होगी । भालू ढोल बजाएगा , गधा तान सुनाएगा । बंदर नाच दिखाएगा । दूल्हा दुल्हन साथ में , झूमेंगे हम रात में , शेर की बारात में , धूम मचेगी रात में । शेर की बारात में , धूम मचेगी रात में । हाथी की सवारी होगी , पीछे घोडा-गाड़ी होगी । भालू ढोल बजाएगा , गधा तान सुनाएगा । बंदर नाच दिखाएगा । दूल्हा दुल्हन साथ में , झूमेंगे हम रात में , शेर की बारात में , धूम मचेगी रात में ।
चंदा मामा गोल मटोल चंदा मामा गोल मटोल , कुछ तो बोल कुछ तो बोल , कल थे आधे आज हो गोल , खोल भी दो अब अपनी पोल , रात होते ही तुम आ जाते, संग संग सितारे लाते , और दिन में कहाँ छिप जाते हो , कुछ तो बोल कुछ तो बोल । चंदा मामा गोल मटोल , कुछ तो बोल कुछ तो बोल , कल थे आधे आज हो गोल , खोल भी दो अब अपनी पोल ,
कद्दू जी की बारात कद्दू जी की चली बारात हुई बताशों की बरसात । बैंगन की गाड़ी के ऊपर बैठे कद्दू राजा , सलजम और प्याज ने मिलकर खूब बजाया बाजा । मेथी, पालक, भिंडी, तोरई टिंडा, मुली, गाजर , बने बाराती नाच रहे थे, आलू , मटर, टमाटर । कद्दू जी हँसते-मुसकाते लौकी दुल्हन लाए , कटहल और करेले जी ने चाट-पकौड़े खाए । प्रातः पता चली यह बात सपना देख था यह रात !
चाँद का कुर्ता हार कर बैठा चाँद एक दिन , माता से यह बोला , " सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला । सनसन चलती हवा रात भर , जाड़े से मारता हूँ , ठिठुर - ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ । आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का , न हो अगर तो ला दो कुर्ता ही कोई भाड़े का । " बच्चे की सुन बात कहा माता ने , " अरे सलोने ! कुशल करें भगवान , लगे मत तुझको जादू - टोने । जाड़े की तो बात ठीक है , पर मैं तो डरती हूँ , एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ । कभी एक अंगुल भर चौड़ा , काभी एक फुट मोटा , बड़ा किसी दिन हो जाता है , और किसी दिन छोटा । घटता - बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है , नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है । अब तु ही ये बता , नाप तेरा किस रोज लिवाएँ , सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आए ?"
सूरज का ब्याह उडी एक अफवाह , सूर्य की शादी होने वाली है , वर के विमल मोर में मोती उषा पिराने वाली है । मोर करेंगे नाच , गीत कोयल सुहाग के गाएगी , लता विटप मंडप - वितान से वंदन वार सजाएगी ! जीव - जन्तु भर गए खुशी से , वन की पाँत - पाँत डोली , इतने में जल के भीतर से एक व्रध्द मछली बोली - "सावधान जलचरों , खुशी में सबके साथ नहीं फूलो , ब्याह सूर्य का ठीक , मगर , तुम इतनी बात नहीं भूलो । एक सूर्य के ही मारे हम विपद कौन कम सहते हैं , गर्मी भर सारे जलवासी छटपट करते रहते हैं । अगर सूर्य ने ब्याह किए , दस - पाँच पुत्र जन्माएगा , सोचो , तब उतने सूर्यों का ताप कौन सह पाएगा ? अच्छा है सूरज कंवारा है , वंश विहीन , अकेला है , इस प्रचंड का ब्याह जगत की खातिर बड़ा झमेला है । "
नमन करूँ मैं तुझको या तेरे नदीश , गिरी , वन को नमन करूँ मैं । मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ? किसको नमन करूँ मैं भारत , किसको नमन करूँ मैं ? भारत नहीं स्थान का वाचक , गुण विशेष नर का है , एक देश का नहीं शील यह भूमंडल भर का है । जहां कहीं एकता , अखंडता , जहां प्रेम का स्वर है , देश-देश में वहाँ खड़ा भारत जीवित भास्वर है ! निखिल विश्व की जन्मभूमि - वंदन को नमन करूँ मैं ? किसको नमन करूँ मैं भारत , किसको नमन करूँ मैं ? उठे जहां भी घोष शांति का , भारत स्वर तेरा है , धर्म- दीप हो जिसके भी कर में , वह नर तेरा है । तेरा है वह वीर , सत्य पर जो अड़ने जाता है , किसी न्याय के लिए प्राण अर्पित करने जाता है ॥ मानवता के इस ललाट चंदन को नमन करूँ मैं ? किसको नमन करूँ मैं भारत , किसको नमन करूँ मैं ?
अगर पेड़ भी चलते होते अगर पेड़ भी चलते होते कितने मजे हमारे होते । बांध तने में उसकी रस्सी चाहे जहां कहीं ले जाते । जहां कहीं भी धूप सताती उसके नीचे झट सुस्ताते , जहां कहीं वर्षा हो जाती उसके नीचे हम छिप जाते । लगती जब भी भूख अचानक तोड़ मधुर फल उसके खाते , आती कीचड़ , बाढ़ कहीं तो झट उसके ऊपर चढ़ जाते । अगर पेड़ भी चलते होते कितने मजे हमारे होते ।
बंदर वाला बंदर वाला बंदर लाया , उसके साथ बंदरिया लाया । सबको नाच दिखाने आया , सबका मन बहलाने आया । देखो , कैसा नाच दिखाए , हँस -हँस सबका मन बहलाए ।
चल रे मटके टम्मक टूँ हुए बहुत दिन बुढ़िया एक , चलती थी लाठी को टेक । उसके पास बहुत था माल , जाना था उसको ससुराल । मगर राह में चीते ,शेर , लेते थे राही को घेर । बुढ़िया ने सोचा तरकीब , जिससे चमक उठे तकदीर । मटका एक मंगाया मोल , लंबा -लंबा गोल -मटोल । उसमें बैठी बुढ़िया आप , वह ससुराल चली चुपचाप । बुढ़िया गाती जाती यूं , चल रे मटके टम्मक टूँ ॥
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