बगुले का अधूरा उपाय || Bagule ka adhura upay

 किसी वन में एक बहुत बड़ा वृक्ष था| उसमें बगुलों के अनेक परिवार निवास करते थे| उसी वृक्ष के कोटर में एक काला सर्प भी रहता था| अवसर मिलने पर वह बगुलों के उन बच्चों को मारकर खा जाया करता था जिनके पंख भी नहीं नहीं उगे होते थे| इस प्रकार बड़े आनन्दसे उसका जीवन व्यतीत हो रहा था| यह देखकर बगुले बड़े[....]

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बुजदिल मत बनो ||Bujdil mat bano

 एक बार एक गीदड़ उस जंगल में चला गया जहां दो सेनाएं युद्ध कर रही थी| दोनों सेनाओं के मध्य क्षेत्र में एक नगाड़ा रखा था| गीदड़ बेचारा कई दिनों से भूखा था नगाड़े को ऊँचे स्थान पर रखा देखकर वह कुछ देर के लिये रूका|देखते ही देखते हवा के एक झोंके से नगाड़ा नीचे गिर गया फिर आसमान से वृक्षों में लटकी[....]

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बेवक्त के गीत || Bewaqt Ke Geet

 एक बेचारा गधा भूखा प्यासा इधर-उधर घूमा करता था| एक दिन उसकी मित्रता एक गीदड़ के साथ हो गई| गीदड़ के साथ रहकर वह गधा खूब मौज मस्ती मारता| इस प्रकार वह दिन रात मोटा होने लगा|एक रात वह गीदड़ के साथ खरबूजे के खेतों में खूब माल खा रहा था, खाते-खाते गधे ने कहा-मामा क्या मैं तुम्हें राग सुनाऊं मुझे[....]

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अहंकार बुरा || Ahankar Bura

 एक तालाब में दो मगरमच्छ रहते थे| एक मेंढक से उनकी दोस्ती हो गई| इस प्रकार वे तीनों तालाब में रहने लगे ओर अपना दुख-सुख कहकर मन बहलाते रहते| मेंढ़क को यह पता नहीं था कि इन दोनों मगरमच्छों में से एक मन्दबुद्धि और दूसरा अहंकारी है|एक दिन वे तीनों तालाब के किनारे बैठे बातचीत कर रहे थे कि एक शिकारी[....]

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भावना का सम्मान || Bhawana Ka Samman

 पुराने जमाने की बात है। एक शहर में दो व्यापारी आए। इनमें से एक घी का कारोबार करता था, तो दूसरा चमड़े का व्यापार करता था। संयोग से दोनों एक ही मकान में पहुंचे और शरण मांगी। मकान मालिक ने रात होने पर घी वाले व्यापारी को भीतर सुलाया और चमड़े वाले को बाहर बरामदे में।दूसरे दिन वे माल खरीदने गए। उस[....]

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जल प्रवाहों ने आपस में बांटे अपने दुख व सुख || Jal prawahon ne aapas mein baante apne dukh aur sukh

 कदीशा की घाटी में, जिसमें होकर एक वेगवती नदी बहती थी, दो छोटे-छोटे जल प्रवाह आ मिले और परस्पर बातचीत करने लगे। एक जल प्रवाह ने पूछा- मेरे मित्र! तुम्हारा कैसे आना हुआ, रास्ता ठीक था न? दूसरे ने उत्तर दिया- रास्ते की न पूछो बड़ा ही बीहड़ था।पनचक्की का चक्र टूट गया था और उसका संचालक, जो मेरी धारा[....]

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जान कुर्बान नहीं करने पर सताता रहा गम || Jaan kurbaan nahi karne par satata raha gam

 डच साम्राज्य ने इंडोनेशिया पर हमला करके उसे अपने साम्राज्य में मिलाने की सोची। वहीं दूसरी ओर इंडोनेशिया के नवयुवकों ने भी तय कर लिया था कि मर मिटेंगे, लेकिन डचों को देश में नहीं आने देंगे। सेना में युवकों की भर्ती होने लगी। एक गुरिल्ला दल बना। दल की पहली टुकड़ी के लिए युवकों का चयन होने लगा।इस[....]

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त्याग और लोभ || Tyag aur lobh

 किसी नगर में एक सेठ रहता था| उसके पास बहुत धन था| उसकी तिजोरियां हमेशा मोहरों से भरी रहती थीं, लेकिन उसका लोभ कम नहीं होता था| जैसे-जैसे धन बढ़ता जाता था, उसकी लालसा और भी बढ़ती जाती थी|सेठ बहुत ही कंजूस था| कभी किसी को एक कौड़ी भी नहीं दे सकता था| अगर कोई उसके दरवाजे पर आकर हाथ फैलाता तो वह[....]

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प्रोत्साहन से खुल जाते हैं विकास के द्वार || Protsahan se khul jaate hain vikas ke dwar

प्रतेक  मनुष्य के विकास की असीम क्षमताएं उसके भीतर मौजूद होती हैं। सुप्त रूप में रहने वाली इन क्षमताओं के विकास के लिए आंतरिक प्रेरणा तो जरूरी होती है, बाह्य वातावरण का प्रभाव भी कम महत्व नहीं रखता। रामायण में हनुमान और जाम्बवंत का यह प्रसंग इसी तथ्य को सिद्ध करता है। यह सर्वविदित है कि हनुमानजी[....]

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बालिका की वाणी || Baalika Ki Vani

 भगवान बुद्ध श्रावस्ती में ठहरे हुए थे। वहां उन दिनों भीषण अकाल पड़ा था। यह देखकर बुद्ध ने नगर के सभी धनिकों को बुलाया और कहा, ‘नगर की हालत आप लोग देख ही रहे हैं। इस भयंकर समस्या का समाधान करने के लिए आगे आइए और मुक्त हाथों से सहायता कीजिए।’ लेकिन गोदामों में बंद अनाज को बाहर निकालना सहज नहीं[....]

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जो होगा देखा जाएगा || Jo hoga dekha Jaega

 किसी सरोवर में अनागत विधाता, प्रत्युत्पन्नमति और यद्भविष्य नामक तीन मत्स्य रहते थे| एक दिन की बात है कि उस तालाब की ओर से कुछ मछुआरे निकले और उसमें देखकर कहने लगे| अरे! सरोवर तो मछलियों से भरा पड़ा है| आज तक हमारी दृष्टि इस पर गई ही नहीं| चलो आज का कम तो बन गया है और अब समय भी नहीं रहा है, कल[....]

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अन्नकूट पर्व व गोवर्धन पूजा || Gowardhan Puja

कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा यानी दीपावली का अगला दिन गोवर्धन पूजन, गौ पूजन के साथ-साथ अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है। अन्नकूट पूजा में भगवान विष्णु अथवा उनके अवतार और अपने इष्ट देवता का इस दिन विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर पूजन किया जाता हैं। इसे छप्पन भोग की संज्ञा भी दी गई हैं। इस दिन सुबह ही नहा[....]

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जहां चाह है वहां सुख नहीं || Jahan Chah hai wahan sukh nahi

एक बार भगवान बुद्ध अपना चातुर्मास पाटलिपुत्र में कर रहे थे| उनका उपदेश सुनने के लिए बहुत-से लोग आते थे|एक दिन की बात है कि प्रवचन के समय उनके शिष्य आनंद ने पूछा - "भंते, आपके सामने हजारों लोग बैठे हैं| बताइए इनमें सबसे सुखी कौन है?"बुद्ध ने कहा - "वह देखो, सबसे पीछे दुबला-सा फटेहाल जो आदमी बैठा है,[....]

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जीने का अधिकार || Jeene Ka Adhikar

एक बार राजा अजातशत्रु एक साथ कई मुसीबतों से घिर गए। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि इन आपदाओं को कैसे दूर किया जाए। वह दिन-रात इसी चिंता में डूबे रहते। तभी एक दिन उनकी मुलाकात एक वाममार्गी तांत्रिक से हुई। उन्होंने उस तांत्रिक को अपनी आपदाओं के बारे में बताया।तांत्रिक ने राजा से कहा कि उन्हें संकट[....]

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बदला लेने की इच्छा जब भलाई में बदल गई ||Badla lene ki iksha jab bhalai mein badali

एक सेवक अपने स्वामी की हत्या करके दूसरे नगर में भाग गया। स्वयं को छिपाने के लिए उसने कई वेश बदले। अब तक वह भिखारी हो चुका था। इधर उसके स्वामी का पुत्र अब तक युवा हो चुका था। अपने पिता के हत्यारे से बदला लेने की उसकी भावना प्रबल हो उठी। वह हत्यारे को खोजने चल पड़ा।दूसरी ओर हत्यारा भिखारी चलते-चलते एक[....]

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मुर्ख सियार ||Foolish Fox

किसी वन में चण्डरव नामक एक सियार रहता था| एक दिन वह भूख से व्याकुल भटकता हुआ लोभ के कारण समीप के नगर में पहुंच गया| उसको देखते ही नगरवासी कुत्ते उसके पीछे पड़ गए| अपने प्राण बचाने के लिए सियार जब भागा तो वह धोबी के घर में घुस गया| कुत्तों ने जब वहीं तक उसका पीछा किया तो वह समीप रखे बहुत बड़े नील के[....]

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