इंग्लैंड के राजा जेम्स उपाधि देने के लिए विख्यात थे। अपने शासनकाल में उन्होंने कई लोगों को विभिन्न प्रकार की उपाधियों से अलंकृत किया था। हालांकि जेम्स उसी को उपाधि देते थे जो उसका सही पात्र होता था। किसी को राजा जेम्स ने लॉर्ड की उपाधि दी तो किसी को डच्यूक की।
अपने समय के प्रत्येक उस व्यक्ति को राजा जेम्स ने उपाधि प्रदान की, जिसने किसी भी क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कार्य किया हो अथवा विशिष्ट उपलब्धि अर्जित की हो। एक दिन राजा जेम्स के पास एक व्यक्ति आया और अभिवादन के पश्चात विनम्रता से बोला- मेरा एक निवेदन है। आपने लोगों को तरह-तरह की उपाधियां दी हैं। मैं चाहता हूं कि आप मुझे भी कोई सम्मानजनक उपाधि प्रदान करें, आपकी बहुत कृपा होगी।
राजा ने गंभीर होकर तथा आश्चर्य से पूछा- तुम्हें कैसी उपाधि चाहिए? उस व्यक्ति ने कहा- आप मुझे सज्जनता की उपाधि दीजिए ताकि सब लोग मुझे सज्जन समझें। राजा ने उत्तर दिया - सज्जनता की उपाधि एक राजा नहीं दे सकता। यह उपाधि तो तुम्हें सज्जनता के काम करने या लोककल्याण के काम करने पर लोग ही दे सकते हैं। इसलिए जाओ और समाज के बीच रहकर ऐसे काम करो, जिससे तुम्हें सभी लोग सज्जन कहने लगें।
कथा का सार यह है कि बिना कर्म किए फल की आशा करना व्यर्थ है। यदि व्यक्ति कर्मशील बने और अपने कर्मो को सतोन्मुखी रखे तो अवश्य ही समाज में सत्पुरुष की प्रतिष्ठा पाने का अधिकारी बनेगा।
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